Kabir Parmeshwar Ji cured the Emperor of Delhi, Sikander Lodhi, with a mere blessing. The disease which was not cured even by any Kazi, Mullaa's Jantra Mantra.
वास्तविक स्वतंत्रता क्या है , जन्म मृत्यु के रोग से मुक्त होना ही वास्तविक स्वतंत्रता कहलाती है। आज इस दुनिया में तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी एक स्वच्छ समाज तैयार करने जा रहे हैं जोकि वास्तविक स्वतंत्रता की राह बता रहे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में आध्यात्म की सत्यता को साबित करने वाली युक्ति बहुत से लोग कहते हैं यहां मुक्ति मरने के बाद नहीं जीते जी मिले वह प्रमाणिक तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी बताते है स्वर्ग नरक का फल इसी दुनिया में है तो संत रामपाल जी महाराज जी कौन से सतलोक की बात करते हैंपढ़े लिखे समाज को अध्यात्म केइस स्तर तक विश्वास करना चाहिए? (1) संत रामपाल जी महाराज जी दुनिया के ऐसे एकमात्र संत हैजो अपने अनुयायियों से पूर्ण रूप से नशा मुक्त कर देते हैं (जैसे शराब, सिगरेट ,सुल्फा ,भांग, तंबाकू इत्यादि) ---नशीली वस्तुओं के सेवन से मुक्ति से ही वास्तविक मनुष्य जीवन जीने के उद्देश्य को हासिल किया जा सकता है और नशा ही हजारों परिवार को आर्थिक बर्बादी बच्चों के भविष्य का नाश, और कलह, उजड़ने की मुख्य वजह है ...
हिंदू धर्म के प्रमुख इष्ट देव भगवान है श्री कृष्ण जी प्रभु प्रेमियों के दिल मेंश्री कृष्ण जी का विशेष स्थान है ,विष्णु के अवतार कृष्ण जी श्रावण माह की कृष्णा पक्ष कीअष्टमी की मध्यरात्रि कोअत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जी का जन्म मृत्यु होता है, अविनाशी नहीं है। अविनाशी तो पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी ही है । जिसमें गीता जी का ज्ञान बोला जा रहा था उससे पहले न तो अट्ठारह पुराण था। न 11 उपनिषद और ने ही छह शास्त्र थे। उस समय पवित्र चारों वेद ही शास्त्र रूप में प्रमाणित थे। उन्हीं चारों वेदों का सारांश पवित्र गीता जी में वर्णित है। द्वापर युग में कृष्ण जी के 56 करोड़ की आबादी वाले यादव कुल का आपस में लड़ने से नाश हो गया था । जिसे कृष्ण जी लाख यतन करने से भी नहीं रोक पाए थे। महाभारत के युद्ध के दौरान कह रहे थे की अर्जुन तेरे दोनों हाथों में लड्डू है युद्ध में मारा गया तो सीधा स्वर्ग जाएगाऔर जीत गया तो राजा बनेगा। कबीर, राम कृष्णअवतार है, इनका नहीं संसार । जिन साह...
विज्ञान का अर्थ होता है वस्तुओं की विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त यदि ज्ञान को समझे तो ज्ञान का अर्थ मानवीय मूल्यों के अनुरूप चिंतन करना और चरित्र के लिए स्थिर बनना है। कहा जाता है कि मनुष्य जन्म से ही पशु प्रवृत्तिया परिपूर्ण होता है, लेकिन इन अवगुणों का नाश करके संस्करण और आदर्शवादी बनने की चिंतन प्रक्रिया को ही ज्ञान कहा जाता है। #ज्ञान और विज्ञान की तुलना# अब अगर ज्ञान और विज्ञान की आपस में तुलना करें वह कुछ ऐसे होगी- 'हाइड्रोजन के दो कण जब ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं तो पानी बनता है-यह है विज्ञान लेकिन इस पानी से जीव -जंतु की प्यास बुझती है-यह ज्ञान है। और हमारी सब की प्यास पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी बुझाते हैं इसमें यह भी सिद्ध होता है कि संसार का प्रत्येक कण परमात्मा के इशारे पर चलता है। यह अलग बात है कि परमात्मा को कभी वृक्ष के रूप में देखते हैं , कभी पहाड़ो के रूप में । कभी मनुष्य के रूप में देखते हैं तो कभी पशु -पक्षी के रूप मे। इस प्रकार हमारे देखने की विधि हर जगह अलग-अलग ...