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विज्ञान का अर्थ होता है वस्तुओं की विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त यदि ज्ञान को समझे तो ज्ञान का अर्थ मानवीय मूल्यों के अनुरूप चिंतन करना और चरित्र के लिए स्थिर बनना है। कहा जाता है कि मनुष्य जन्म से ही पशु प्रवृत्तिया परिपूर्ण होता है, लेकिन इन अवगुणों का नाश करके संस्करण और आदर्शवादी बनने की चिंतन प्रक्रिया को ही ज्ञान कहा जाता है।
#ज्ञान और विज्ञान की तुलना#
अब अगर ज्ञान और विज्ञान की आपस में तुलना करें वह कुछ ऐसे होगी- 'हाइड्रोजन के दो कण जब ऑक्सीजन के संपर्क में आते हैं तो पानी बनता है-यह है विज्ञान लेकिन इस पानी से जीव -जंतु की प्यास बुझती है-यह ज्ञान है।
और हमारी सब की प्यास पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी बुझाते हैं इसमें यह भी सिद्ध होता है कि संसार का प्रत्येक कण परमात्मा के इशारे पर चलता है। यह अलग बात है कि परमात्मा को कभी वृक्ष के रूप में देखते हैं ,कभी पहाड़ो के रूप में । कभी मनुष्य के रूप में देखते हैं तो कभी पशु -पक्षी के रूप मे। इस प्रकार हमारे देखने की विधि हर जगह अलग-अलग होती है, लेकिन उस पर मातम तत्व में कोई अंतर नहीं आता है। हम अध्यात्म की प्रयोगशाला में इन तमाम वस्तुओं को रखते हैं तो स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान यहां नहीं पहुंच रहा है।इस संसार का एक एक कण उसी परमातम शक्ति से संचालित हो रहा है। अभी इस टाइम में पूर्ण परमात्मा के रूप में तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी कबीर साहेब जी के रूप में आए हुए हैं। आओ और अपना कल्याण कराओ अधिक जानकारी के लिए 7:30 पीएम साधना चैनल पर सत्संग जरूर देखें।